Monday, November 16, 2015

Tareef !


Sometimes you cannot forget someone you have clicked .  More so, if you are a student of nature , and well acquainted with the activities of whom you have clicked.

Just in case you do forget, facebook reminds you 2 years down the line, and refreshes your memory.

Like it did for my friend Sangeeta Khanna, who clicked this chap ,  years ago.   Interesting, because she even remembers dissecting a cousin of this chap in her student days.....

Just  reminded me of a hit song from Kashmir Ki Kali sung by late Mohammed Rafi .

Well, Delhi ki Kali at least ....

  ये चाँद सा रोशन चेहरा, त्वचा का रंग सुनहरा
ये शराबी धुंद आँखे, पेड़ोंसे प्यार है इन में गहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया

एक चीज़ अब पक्की भी है, गिलहरीसे सुना करते थे
तुम्हे घूमते मैने देखा , वो ठीक कहा करते थे
है फिसलना तेरा जालिम, खलनायकी आलिंगन जादू
सौ बार पकड़ा तू पेड़ को , और वह होके रहा बेकाबू
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया

सुबह सूर्यकिरणको देखे , पीठपर रौंगटे खड़े हो जाना
शरमाकर रंग बदलके , तेरा पेड़ से एकरूप हो जाना
तू चमकती जंगल की बेटी , मौज से करे अंगड़ाई
कीडो ने किया परेशान उन्हे मूह की दुनिया दिखाई
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया

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